नई दिल्ली- 18 मई 2020: कोरोना महामारी के इलाज के लिए आईआईटी दिल्ली द्वारा आयुर्वदिक की कुछ चुनिंदा जड़ी बूटियों पर किये जा रहे ताजा अध्ययन में पाया है कि आयुर्वेदिक इलाज में सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली जड़ी-बूटी अश्वगंधा (विथानिया सोम्नीफेरा) कोरोना संक्रमण के खिलाफ एक बहुत ही प्रभावी चिकित्सीय और निवारक दवा हो सकती है
कोरोना ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचाया हुआ है और अभी तक इसका कोई भी इलाज सामने नहीं आया और अमेरिका से लेकर यूरोप और ऑस्ट्रेलिया से लेकर चीन तक हर कोई देश कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन या दवा के शोध में काम कर रहा है, इसी दिशा में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनआईएसटी) ने एक आयुर्वेदिक जड़ी- बूटी अश्वगंधा पर एक संयुक्त शोध किया है.
शोध के अनुसार भारत में प्राचीन समय से प्रयोग होने वाली व अपने औषधीय गुणों से जाने जाने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी अश्वगंधा (विथानिया सोम्नीफेरा) कोरोना (कोविड-19) संक्रमण के खिलाफ एक बहुत ही प्रभावी चिकित्सीय और निवारक दवा बन सकती है. संयुक्त रिसर्च टीम ने पाया कि अश्वगंधा और प्रोपोलिस (मधुमक्खियों द्वारा अपने छत्ते को रोधक बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया सलाइवा) में कोरोना वायरस के लिए प्रभावी दवा बनाने की क्षमता है.
आईआईटी दिल्ली में बॉयोकेमिकल इंजीनियरिंग एंड बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रमुख व डीएआई लैब के कोआर्डिनेटर प्रोफेसर डी. सुंदर के अनुसार भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद का प्रचलन भारत में हजारों वर्षों से है. बीते एक दशक से आईआईटी दिल्ली व एआईएसटी के शोधार्थी आधुनिक तकनीकों के साथ आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान के अध्ययन में जुटे हैं !
इस नए अध्ययन में सामने आया कि अश्वगंधा में एक केमिकल कंपाउंड पाया जाता है जिसका नाम है “विथानोन” इसमें में यह क्षमता है कि कोरोना वायरस के शरीर में हो रहे वायरस रेप्लीकेशन को वह रोक सकता है व इसके साथ ही मधुमक्खी के छत्ते के अंदर भी एक केमिकल कंपाउंड कैफिक एसिड फेनेथाइल ईस्टर (CCAPE) के बारे में भी पता लगा है जोकि सॉर्स सीओवी-2 एम प्रो की मानव शरीर में हो रही गतिविधि को रोकने में कारगर सिद्ध हो सकता है !
अश्वगंधा कोरोना के इलाज में कारगर -आईआईटी -दिल्ली- अश्वगंधा के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें
शोध-कर्ताओं द्वारा इस रिसर्च में सॉर्स-COV-2 के मुख्य एंजाइम मैन प्रोटिएज को लक्ष्य बनाकर यह स्टडी की गई है जोकि मानव शरीर में प्रोटीन्स को विभाजित करता है। ये वायरस के शरीर में रेप्लिकेशन को रोकने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शोधकर्ताओं की टीम का कहना है कि इस शोध में हमें जो कंपाउंड मिले हैं वह दोनों ही मानव शरीर में वायरस के रेप्लिकेशन के लिए जिम्मेदार सॉर्स-सीओवी-2 के मुख्य एंजाइम मैन प्रोटिएज को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं. अभी क्योंकि फिलहाल ये स्टडी समीक्षाधीन है और बहुत ही जल्द भविष्य में प्रकाशित होने की उम्मीद है।
आईये जानते है आयुर्वेदा के विषेशज्ञों का इस शोध पर क्या कहना है :
आयुर्वेदा के प्राचीन ग्रंथों व शास्त्रों में जटिल बिमारियों के इलाज व रोकथाम का पूरा वर्णन बड़े ही विस्तार से बड़ी ही प्रमाणिकता के साथ दिया गया है तो एक आयुर्वेदाचार्य होने के नाते मुझे इसमें रति भर भी संदेह नहीं की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां काम करती हैं या नही। अश्वगंधा तो आयुर्वेद की वो जड़ी बूटी है जिसे हजारों सालों से बहुत सी असाध्य बिमारियों में पहले से ही प्रयोग किया जाता है और इस शोध से आयुर्वेदा की प्रमाणिकता व इसके प्रभाव को और ज्यादा बल मिलेगा उसके साथ ही आयुर्वेदा जिसे लोग सिर्फ दादी नानी के नुस्खों तक ही सिमित रखते थे उसे भी आज के समय के अनुसार वैज्ञानिक वैधता मिलेगी। सभी शोधकर्ताओं को शुभकामनाएं –
आयुर्वेदाचार्य -बलदीप कौर – फाउंडर- दीप आयुर्वेदा
अश्वगंधा आयुर्वेद में वर्णित उन जड़ी बूटियों में से एक है जिसका उपयोग सदियों से हो रहा है, और ये एक बहुत ही प्रभावशाली बूटी है जिसे मस्तिष्क समन्धित रोगों में, आर्थराइटिस व हडियों से समन्धित रोगों में, शारीरिक कमजोरी में, यहाँ तक की कैंसर के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता रहा है, इस शोध से निश्चित ही आयुर्वेदा की ऊपर लोगों का विश्वास बढ़ेगा व दुनिया आयुर्वेदा के महत्व को समझेगी-
आयुर्वेदाचार्य – प्रताप चौहान- जीवा आयुर्वेदा
एक बार फिर आयुर्वेद दुनिया को बचाने में बहुत ही मदददगार साबित होगा । यह बहुत अच्छी खबर है क्योंकि अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसके अनेकों लाभ है। जहाँ इससे मानवता को मदद मिलेगी और जीवन को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी वहीं आयुर्वेदा को भी एक और नए युग का वैज्ञानिक साक्ष्य मिलेगा। – आयुर्वेदाचार्य- श्रीधर अग्रवाल – आयुर्वेदा 24
अश्वगंधा पर किये जा रहे शोध का covid-19 के इलाज में प्रभावशाली असर बहुत ही महत्वपूर्ण व अच्छी खबर है, सभी शोधकर्ताओं को बधाई। – वैद्य -अरविन्द पॉल सिंह- चिकित्सा अधिकारी – दीप आयुर्वेदा
आयुर्वेदा की प्रमाणिकता पर समय समय पर परशान चिन्ह लगाया गया है, अब वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया आयुर्वेदा की शरण में आएगी और भारत आयुर्वेद में विश्व गुरु बनकर उभरेगा- किरण भुसारे – रिसर्चर व फार्मा प्रोफेसर -औरगांबाद
News Source PTI