चंडीगढ़- 20 अगस्त 2016- “सॉरयसिस (किटिव कुष्ठ रोग ) एक बहुत ही भयानक व पीड़ा दायक स्किन की बीमारी है, जिसमे रोगी को ना सिर्फ़ शारीरिक तकलीफ़ बल्कि सामाजिक व मानसिक पीड़ा को भी सहन करना पड़ता है ! इस बीमारी के कारण रोगी मानसिक तौर पर अपने आप को बहुत ही असहाय व कमजोर समझने लग जाता है”, ये बात दीप आयुर्वेदा की फाउंडर व चिकित्सा निदेशक डा बलदीप कौर ने सॉरयसिस के जानकारी के उपलक्ष में एक प्रेस वार्ता में कही ! उन्होने बताया की सॉरयसिस (किटिव कुष्ठ ) एक ऑटो इम्यून डिसॉर्डर हैं जिसका जड़ से इलाज़ किसी भी पद्द्ति में संभव नही है परन्तु पंचकर्मा व आयुर्वेदा इलाज़ द्वारा सॉरयसिस की बीमारी के इलाज़ में बहुत ही महतवपूर्ण व असचार्यजनक सफलता मिली है !
दीप आयुर्वेदा पिछले 10 सालों से आयुर्वेदा के क्षेत्र में बहुत ही सराहनीय व महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है और अभी तक हज़ारों लोगों को आयुर्वेदिक इलाज़ से ठीक कर चुके है ! डॉक्टर कौर ने बताया की अच्छे व सकारात्मक परिणाम का मुख्य कारण इलाज़ में उपयोग होने वाली आयुर्वेदिक दवाइयाँ हैं जो कि हमारी अपनी आयुर्वेदिक फार्मेसी व मॅन्यूफॅक्चरिंग यूनिट में दुर्लभ जड़ी-बूटियों को गुणवता की कसोटी पर परख कर शास्त्रोक्त विधि व उचित अनुसंधान व शोध के बाद ही तैयार की जाती हैं !
इस प्रेस वार्ता में कुछ रोगी भी उपस्थित थे जो की आयुर्वेदिक इलाज़ के बाद आज स्वस्थ व खुशी जीवन व्यतीत कर रहें हैं, उनमे से एक व्यक्ति जिसका नाम गुरमीत सिंह (बदला हुआ नाम ) – ने हमे बताया की वो इस बीमारी से पिछले दो सालों से पीड़ित था व बहुत ही दुखी व जिंदगी जीने की चाह भी छोड़ चुका था, परन्तु जनवरी 2016 में वो डॉक्टर बलदीप को उनके क्लिनिक में मिला उस समय मेरी पूरा शरीर गला हुआ था ! डॉक्टर ने पंचकर्मा विधि व आयुर्वेदिक दवाइयों से मेरा इलाज़ शुरू किया और एक महीने में ही मेरा पूरा शरीर बिल्कुल ठीक हो गया ! मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था की मैं ठीक भी हो सकता था, परन्तु ये सच था ! डॉक्टर बलदीप कौर मेरे लिए भगवान से कम नही हैं जिन्होने मुझे इस बीमारी से निजात दिलाई व जीने के नई राह दिखाई ! मैं बहुत अभारी हूँ डॉक्टर बलदीप कौर व इनके क्लिनिक के स्टाफ का !
डॉक्टर बलदीप कौर ने ये भी बताया की सॉरयसिस (किटिव कुष्ठ ) रोगी को केमिकल बेस्ड व स्टीरॉइड बेस्ड टीके लगवाने से बचना चाहिए, क्लिनिकल स्टडी में हमने पाया की जिन रोगियों ने केमिकल बेस्ड व स्टीरॉइड बेस्ड इलाज़ कम या नही करवाया होता है उन रोगियों पर आयुर्वेदिक इलाज़ बहुत ही जल्दी असर करता है और रोगी बहुत ही जल्दी ठीक होता है, परन्तु जिन रोगियों ने केमिकल बेस्ड व स्टीरॉइड बेस्ड इलाज़ लिया होता हैं उन रोगियों के इलाज़ में ज़्यादा समय लगता है !
सॉरयसिस के इलाज़ में दवाइयों के साथ-साथ रोगी के ख़ानपान व रहन-सहन का ध्यान रखना बहुत ही महत्वपूर्ण रोल अदा करता है ! परिवार के सभी सदस्यों को रोगी को मानसिक व सामाजिक तौर से सहयोग करना चाहिए ताकि रोगी को अपने बीमारी के कारण मानसिक तनाव ना रहे ! क्योंकि तनाव सॉरयसिस के इलाज़ में बहुत अड़चन पैदा करता है और बीमारी जल्दी ठीक नही होती ! जैसे ही रोगी को त्वचा रोग या सॉरयसिस के लक्षण का पता चले उसे तुरंत एक अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर से इलाज़ शुरू करना चाहिए ! इस बीमारी का इलाज़ संभव है और बिल्कुल भी घबराने की आवश्यकता नही है ! सिर्फ़ ज़रूरत है तो इसके बारे में उचित जानकारी व एक अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर से इलाज़ की !
सॉरयसिस (किटिव कुष्ठ रोग) के इलाज़ के बारे में आयुर्वेदिक के हज़ारों सालों पुराने ग्रंथों में बहुत जानकारी उपलब्ध है !