राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्राी श्री राजेन्द्र राठौड़ ने निजी क्षेत्रा के निवेशकों का आह्वान किया है कि वे राजस्थान में मौजूद ’आयुष हब‘ का फायदा उठाते हुए प्रदेश में आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा पद्धति के क्षेत्रा में मौजूद संभावनाओं का दोहन करंे। उन्होंने निवेशकों को इस क्षेत्रा में निवेश के लिए राजस्थान आने का निमंत्राण दिया।
श्री राठौड़ गुरूवार को नई दिल्ली के राजस्थान हाउस में ’’रिसर्जेंट राजस्थान पार्टनरशिप समिट‘‘ के तहत् आयोजित आयुष के पहले रोड शो का शुभारंभ करते हुए बोल रहे थे।
उन्होंने बताया कि राजस्थान आयुष चिकित्सा के देशव्यापी हब के रूप में उभर रहा है और प्राकृतिक संसाधनों के साथ ही राज्य के अरावली क्षेत्रा में प्रचुर वन औषधियां उपलब्ध है और राजस्थान आयुर्वेद सम्पदा से सम्पन्न जड़ी-बूटियों और आयुष के समृद्ध आधारभूत ढंचे एवं सुविधाओं से सम्पन्न प्रदेश है। प्रदेश के विभिन्न भागों में खनिज के अमूल्य भंडारों की मौजूदगी के साथ ही यहां प्रकृति के गर्भ में बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदाओं का भी अथाह भंडार विधमान है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान में सरकारी क्षेत्रा में देश का पहला आयुष विश्वविद्यालय खुला है। साथ ही राज्य में आयुर्वेद के तीन पी.जी. कॉलेज, 8 कॉलेज, 3,884 डिस्पेंसरियॉ 18 जिला अस्पताल, 100 अन्य अस्पताल और 9,746 रजिस्टर्ड चिकित्सक है। आयुष चिकित्सालयों में 1.85 करोड़ लोग चिकित्सा के लिए आते हैं और 5 करोड़ लोग परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
श्री राठौड़ ने बताया कि राज्य में पंचकर्म कोर्स भी शुरू किया गया है। प्रदेश में आयुर्वेद की पांच समृद्ध रसायनशालाएं है, जिनमें सभी प्रकार की बहुमूल्य औषधियों का निर्माण होता है। इसके अलावा राज्य में 332 निजी फार्मेसी भी हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य की अपनी एक ’आयुष नीति‘ भी है। राज्य सरकार इस क्षेत्रा को पर्यटन से जोड़ कर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य में आयुष की व्यापक संभावनाआंे को उभारना चाहती है। राज्य में प्रति वर्ष 20 लाख विदेशी और 3.30 करोड़ देशी पर्यटक आते हैं। राज्य विश्व प्रसिद्ध पर्यटन के ’गोल्डन ट्राई एंगल‘ दिल्ली-जयपुर-आगरा से जुड़ा हुआ है।
श्री राठौड़ ने निजी निवेशकों से अपील की कि वे पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप (पी.पी.पी.) मॉडल पर आयुष के क्षेत्रा में निवेश के लिए आगे आयंे। उन्हें वे सभी सुविधाएं, कर छूट एवं रियायतें मुहैया करवाई जायेंगी जो कि राजस्थान निवेश प्रोत्साहन नीति-2014 के अन्तर्गत दी जा रही है। रिसर्जेंट राजस्थान के मद्देनजर अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर भी विचार किया जायेगा।
श्री राठौड़ ने बताया कि राजस्थान के 12 जिलों के 17 स्थानों पर 601 हैक्टर सरकारी भूमि उपलब्ध है। जिन पर निवेशक हर्बल गार्डन्स फार्मेसी, आयुष चिकित्सालय, विश्वविद्यालय, कॉलेज और आयुष से जुड़े अन्य आयामों में निवेश के लिए आगे आ सकते है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में प्रति वर्ष 550 आयुष चिकित्सक और 1100 से ज्यादा नर्सिंग स्टॉफ तैयार होता है। वर्तमान में सरकारी और निजी क्षेत्रा को मिलाकर राज्य में 15 हजार से ज्यादा आयुष चिकित्सक हैं जिनकी सेवाएं आयुष क्षेत्रा के विकास में ली जा सकती है।
श्री राठौड़ ने सरकारी फार्मेसी और अन्य संस्थाओं को भी पी.पी.पी. मॉडल के अन्तर्गत लेने के प्रस्ताव भी आमंत्रित किए। उन्होंने बताया कि ऐसे निवेशकों को ’’सिंगल विण्डो स्कीम‘‘ के अन्तर्गत सभी प्रकार की सहुलियतें उपलब्ध करवाई जायेगी।
’’रिसर्जेंट राजस्थान पार्टनरशिप समिट‘‘ की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे की दूरदर्शी सोच से राजस्थान में विकास के नये आयाम स्थापित हो रहे है। उन्होंने बताया कि राज्य निवेशकों की पसंद का प्रदेश बनकर उभर रहा है। फलस्वरूप नीमराना में जापान एवं दक्षिण कोरिया आदि देशों के निवेशक अपने औद्योगिक हब विकसित कर रहे हैं। राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों का विशाल नेटवर्क उपलब्ध है और अनेक क्षेत्रों में निवेश की अथाह संभावनाएं मौजूद है।
इस मौके पर आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के प्रमुख सचिव श्री संजय दीक्षित, राजस्थान स्टेट मेडिसनल प्लांट बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. डी.एन. पाण्डेय, उपसचिव श्री सेवा राम स्वामी, विशेषाधिकारी डॉ. मनोहर पारीक, परियोजना निदेशक डॉ. गिरधर गोपाल शर्मा, लाईसेंसिंग ऑथोरिटी डॉ. महेश दीक्षित, आयुर्वेद विभाग के अतिरिक्त निदेशक (तकनीकी) डॉ. मंजूल त्रिपाठी आदि भी मौजूद थे।
प्रारंभ में राजस्थान स्टेट मेडिसनल प्लांट बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. डी.एन. पाण्डेय ने आयुष का विस्तृत पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किया और बताया कि राज्य में मेडिसनल प्लांट गार्डन, आयुर्वेद पंचकर्मा, वेलनेस सेंटर, फार्मेसी, ड्रग टेस्टिंग लैब, आयुष शिक्षा, शोध एवं प्रशिक्षण आदि क्षेत्रोें में निवेश की व्यापक संभावनाएं है। उन्होंने बताया कि राज्य की जलवायु आयुष औषधियों के लिए सर्वथा अनुकूल है। शुष्क क्षेत्रा होने के कारण राज्य के औषधिय पौधों में उपयोगी द्रव्य की मात्रा तुलनात्मक रूप से 5 से 18 प्रतिशत तक अधिक पाई जाती है।