चंडीगढ़ -27 August: ज़ी न्यूज़ के रिपोर्टर सुधीर चौधरी ने कहा आयुर्वेदिक डाक्टरों को झोला छाप – गत सप्ताह शुक्रवार को ज़ी न्यूज़ के रिपोर्टर सुधीर चौधरी ने झोला छाप डाक्टरों की प्रजातियों पर एक रिपोर्ट प्रसारित की जिसमे उन्होनें एलोपैथिक प्रैक्टिस करने वाले सभी आयुर्वेदिक चिकित्सकों को झोला छाप डाक्टरों की प्रजाति में शामिल कर दिया ! इस रिपोर्ट के प्रसारित होते ही देशभर के आयुर्वेदिक समाज व आयुर्वेदिक डाक्टरों में ज़ी न्यूज़ व सुधीर चौधरी का विरोध शुरू हो गया और आयुर्वेदिक स्ंघठनो ने इस रिपोर्ट पर अपने उसी प्रोग्राम में पूरे देश के सामने माफी माँगने की माँग की है ! माफी ना माँगने की स्थिति में जिला स्तर पर आंदोलन किए जाएँगे व जिला अधिकारी, CCIM, आयुष मंत्रलया, प्रधामंत्री को ज़ी न्यूज़ व सुधीर चौधरी के खिलाफ कड़ी करवाई करने के लिए लिखा जाएगा ! ज़ी न्यूज़ के मलिक व राज्य सभा सांसद श्री सुभाष चंद्रा को भी इस घटना पर सामने आकर पूरे देश के आयुर्वेदिक डाक्टरों से माफी माँगनी चाहिए !
झोला छाप डाक्टरों की इस रिपोर्ट ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, सुधीर चौधरी ने एलोपैथिक डाक्टरों के आयुर्वेदिक दवाइयों के प्रयोग करने के बारे में नही बताया, क्योंकि आज बहुत से एलोपथिक चिकित्सक भी कई बीमारियों में आयुर्वेदिक दवाइयों का भी प्रयोग करतें हैं फिर क्या MBBS Doctor भी झोला छाप हुए ? उन्होने अपनी रिपोर्ट में कहीं भी क्रॉस पैथी शब्द का जिक्र नही किया और सरेआम उन आयुर्वेदिक डाक्टरों को झोला छाप की उपाधि दे दी जो कि एलोपैथिक प्रैक्टिस करतें हैं !
यहाँ हम ये भी बताना चाहते हैं की भारत के बहुत से राज्यों में राज्य सरकारों ने आयुर्वेदिक डाक्टरों को एलोपैथिक प्रैक्टिस करने की अनुमति प्रदान कि हुई है, क्योंकि आयुर्वेदचार्या की डीग्री की शिक्षा के दौरान आयुर्वेदिक चिकित्सक को आयुर्वेदा के साथ साथ अँग्रेज़ी इलाज़ के बारे में भी ज्ञान दिया जाता है, हालाँकि हम आयुर्वेदिक चिकित्सक के एलोपैथिक इलाज़ करने के बिल्कुल भी पक्ष में नही हैं परन्तु ये भी सच है कि एक आयुर्वेदिक चिकित्सक प्राथमिक स्तर पर एलोपैथिक इलाज़ करने में पूरी तरह से सक्षम होते हैं ! सिर्फ़ इस वजह से उन आयुर्वेदिक डाक्टरों को झोला छाप कहना भी सरासर ग़लत व उनका अपमान है ! हम इसका पुरजोर विरोध करतें हैं !
दीप आयुर्वेदा -Mohali की हेड डा.बलदीप कौर ने कहा की – “ हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आयुर्वेदा के उत्थान के लिए अलग मंत्रलया बनाया व दुनिया भर में आयुर्वेदा पैथी को उचित स्थान दिलवाने को प्रयासरत हैं, और आज पूरा विश्व आयुर्वेद की तरफ देख रहा है और बड़े-बड़े आयुर्वेद और एलोपैथ संस्थान मिलकर अनुसंधान करने व साथ काम करने की बात कर रहें है, परन्तु देश के सबसे बड़े न्यूज़ चैनेल के एक अनुभवी पत्रकार जो अपनी निष्पक्ष पत्रकारिता के बारे में जाने जाते हैं, से ये उमीद नही की जा सकती थी ! सुधीर चौधरी अपने को निष्पक्ष पत्रकार कहते हैं तो इस रिपोर्ट को प्रसारित करने से पहले उन्होने आयुर्वेदिक डाक्टरों के बारे में प्रमाणित व विस्वसनीय रिपोर्ट क्यों तैयार नही की और आयुर्वेदिक डाक्टरों को झोला छाप प्रजातियों में शामिल कर दिया ! इस खबर से हमारे जैसे कितने लोग जो सिर्फ़ आयुर्वेदा में काम करतें हैं को गहरी ठेस पंहुची हैं और इससे सभी आयुर्वेदिक डाक्टरों का मनोबल भी कम होगा !मैं इसका पुरजोर विरोध करती हूँ और ज़ी न्यूज़ व सुधीर चौधरी से टीवी के उसी DNA कार्यक्रम में माफी माँगने की माँग करती हूँ ”
आयुर्वेदिक डाक्टरों ने अपनी पीड़ा ब्यान करते हुए बताया की – आज देश भर में आयुर्वेदिक डाक्टरों की हालत क्या है ये किसी से छुपा नही है, हर साल हज़ारों आयुर्वेदिक चिकित्सक BAMS पास करते हैं परन्तु उनके लिए नौकरी के मौके ना के बराबर, अपने रोज़ी रोटी के लिए उन्हे या अपना पेशा बदलना पड़ता है या फिर एलोपैथिक हस्पताल में RMO की नौकरी, तो क्या ये हॉस्पिटल भी फ़र्ज़ी हुए ?
हम अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से ज़ी न्यूज़ का ध्यान कुछ तथ्यों पर आकर्षित करना चाहते हैं शायद इसके बाद सुधीर चौधरी दोबारा कभी आयुर्वेदिक डाक्टरों को झोला छाप की प्रजातियों में शामिल करने की ग़लती नही करेंगे –
M.B.B.S. तथा B.A.M.S. दोनों के कोर्स की अवधि 5½ वर्ष हैं। दोनों में इंटर्नशिप 1 वर्ष का निर्धारित हैं। दोनों को Medicine, Surgery , Gyne & obs, Pediatric , E.N.T. स्नातक स्तर पर पढ़ाया जाता हैं। एक B.A.M.S.को तो आयुर्वेदिक व आधुनिक दोनों तरह से इन विषयो को तैयार करना होता हैं। समान कोर्स , समान समय , समान विषय का ज्ञान होने के बावजूद एक B.A.M.S.को समाज , सरकार व परिवार की उपेक्षा झेलनी पड़ती हैं आखिर क्यों ? M.B.B.S.छात्र को कोर्स कम्पलीट करने के बाद तमाम तरह के अवसर मौजूद हैं परन्तु एक B.A.M.S.के सामने सब सन्नाटा हैं। और अब ज़ी न्यूज़ के रिपोर्टर सुधीर चौधरी ने कहा आयुर्वेदिक डाक्टरों को झोला छाप !
एक नज़र इस पर भी डालें-
M.B.B.S. छात्र को कोर्स समाप्ति के बाद अवसर –
- पी. जी कोर्स M.D. या M.S. आसानी से कर सकता हैं क्योकि सीटें बहुत ज्यादा हैं!
- तमाम तरह के डिप्लोमा व D.N.B. कोर्स उन्ही के लिए हैं!
- जगह -जगह सरकारी विभागों में उनको जॉब के अवसर हैं जैसे – रेलवे में , आर्मी में !
- तमाम सरकारी योजनाये केवल उन्ही के लिए हैं जैसे – स्वास्थ बीमा योजना , अर्बन हेल्थ केयर!
- नये – नये एलोपैथिक सरकारी व प्राइवेट हॉस्पिटल खुल रहे हैं जहाँ पर उनकी लगातार माँग हैं!
- सरकारी तंत्र गॉवो में जाने के लिए उनकी खुसामद कर रही हैं , सुविधा पर सुविधा दिए जा रहे हैं!
- तमाम आधिकारिक पद केवल उन्ही के लिए हैं जैसे- CMO, CMS, AD.
- अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन ,MRI एक्स -रे जैसी तकनीको पर केवल उन्ही का अधिकार हैं!
- वह हॉस्पिटल या नर्सिंग होम खोलने के लिए आथ्राइज हैं!
- एलोपैथिक मेडिकल कॉलेजो को करोड़ो रुपये प्रतेक वर्ष शोध के लिए दिए जा रहे हैं!
- मगर समान समय, समान विषय, समान योग्यता के बावजूद एक B.A.M.S.छात्र के पास कोर्स समाप्ति के बाद कोई अवसर उपलब्ध नहीं हैं!
- पी. जी. की सीटें अपर्याप्त तथा Non-Clinical हैं व अधिकतर मुकदमेबाजी में फसी हैं!
- आयुर्वेदिक डिप्लोमा कोर्स नहीं हैं!
- बीस सालो से जनरल व ओ. बी. सी. की सीटें नहीं आ रही हैं जो थोड़ी बहुत आ रही हैं वह सब कानूनी पचड़े में हैं!
- आयुर्वेद की दवा कोई खाना नहीं चाहता। अतः वह जीविकोपार्जन का साधन नहीं बनता। रोज़ी रोटी चलाने के लिए एलोपैथ का प्रैक्टिस करता हैं तो सरकार चलने नहीं देती हैं। अतः हम लोग पढ़े – लिखे झोला छाप हो गए हैं!
- नये आयुर्वेदिक अस्पताल खुले नहीं तथा पुराने अस्पताल संशाधन विहीन हैं!
- आयुर्वेदिक दवाओ के शोध तथा आधुनिकरण का कोई व्वस्था नहीं हैं!
यदि ज़ी न्यूज़ वास्तव में भारत के गाँव-गाँव तक लोगो के स्वास्थ की चिंता करतें हैं तो आयुर्वेदिक डाक्टरों की ये माँगें सरकार के सामने उठाएँ व समाज व पूरे देश का भला करें-
- B.A.M.S. के कॉलेजो को यदि आप सुविधा व अवसर उपलब्ध नहीं करा सकते तो कृपा करके इनको एकदम बंद कर दें जिससे छात्रों का भविष्य अंधकारमय होने से बच सके। अब इन्हे केवल ढोने से काम नहीं चलेगा।
- M.B.B.S. डॉकटरो का महिमामंडन करने की परम्परा छोड़ दें तथा इन्हे कार्य करने का अवसर दें।
- B.A.M.S. चिकित्सको की संख्या व अनुभव दोनों इतना पर्याप्त हैं इन्हे कार्य करने का अवसर प्रदान करें जिससे ग्रामीण जनता को स्वास्थ्य लाभ हो सकें।
- B.A.M.S. चिकित्सको को देश के तमाम स्वास्थ्य योजनाओं से जोड़े तथा समाज की मुख्य धारा में इनको लें।
- आयुर्वेदा में अनुसंधान के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए !
- आयुर्वेदिक चिकित्सक को आयुर्वेद में प्रैक्टिस करने के लिए सरकारी मदद मिलनी चाहिए ताकि ज़्यादा से ज़्यादा चिकित्सक अपनी पैथी में काम करें!
- आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए एलोपैथ के बराबर बजट व संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए !
- आज कोई भी दुकान खोल कर बिना किसी अनुमति व लाइसेन्स के आयुर्वेदिक दवाइयाँ बेचना शुरू कर देता है जिससे की आयुर्वेद पर लोगों का विश्वास दिन पर दिन ख़तम हो रहा है , उस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए !
- आज कोई भी कंपनी एक दिन में ही कोई भी पेटेंट आयुर्वेदिक दवाई बना कर बेचती है जबकि बिना क्लिनिकल ट्रायल के कोई भी आयुर्वेदिक मेडिसिन बाज़ार में नही आनी चाहिए !
देश भर के आयुर्वेदिक डाक्टरों के सोसल नेटवर्क साइट फ़ेसबुक व tweeter पर भी ज़ी न्यूज़ व सुधीर चौधरी का पुरजोर विरोध किया जा रहा है-
“महाराष्ट्र में भारत सरकार ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथ मेडिसिन लिखने का अधिकार दिया है आपका यह वक्तव्य की आयुर्वेदिक डॉक्टर फर्जी है सरासर भारत सरकार का अपमान है कृपया लोगों में भ्रांति ना फैलाएं आप इस कथन को अन्य रूप से भी प्रस्तुत कर सकते थे आपने कही भी crosspathy शब्द का प्रयोग नहीं किया, कानूनन रूप से देखा जाए तो आपको crosspathy शब्द use करना था, ना की फर्जी ! आपके इस प्रोग्राम से मैं और मेरी तरह अनेकों लाखों आयुर्वेदिक चिकित्सक आहत है, कुछ मुट्ठी भर लोगों के crosspathy use करने से आप BAMS चिकित्सकों को फर्जी करार दे देते हैं… आपने कभी देश की अपनी चिकित्सा पद्धति को आगे लाने के लिए प्रगति के लिए कभी कोई प्रोग्राम किया है नहीं आपके पास इतना समय नहीं होता ना कि देश की जीवन रेखा को संभालने वाले आयुष चिकित्सकों के दर्द को समझें तथा उनकी समस्याओं को भारत सरकार के सम्मुख रखें, मैं Crosspathy का तनिक भी समर्थन नहीं करता, मैं आयुर्वेद में द्रड निष्ठा रखता हूं, आप अपने सामान्य ज्ञान को थोड़ा और विकसित कर लें एक ही देश में अलग-अलग प्रदेश में BAMS को लेकर अलग-अलग नियम व कानून है आपसे मेरा यही अनुरोध है कृपया देश विरोधी कानून विरोधी शब्दों का प्रयोग ना करें जिससे मेरी तरह अनेकों के हृदय को कष्ट पहुंचे” –डॉ निर्मल राजपूत
“ देश के हम सभी BAMS डाक्टर Zee news को सबसे अच्छा न्यूज़ चैनल मानते है और Zee News एंव सुधीर चौधरी से ये उम्मीद नहीं करते थे कि वो 26/08/16 को DNA कार्यक्रम में allopathy का पक्ष लेते हुऐ बिना CCIM और NIMA से बात किऐ जज बनकर allopathy दवा लिखने वाले BAMS डाक्टरों को फ़र्ज़ी बता कर उनकी बेइज़्ज़ती कर देगें, क्या zee news वालों ने CCIM और NIMA से पूछा की इस देश की चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद है तो आयुर्वेदिक दवा लिखने वाले सभी MBBS फ़र्ज़ी है कि नहीं । क्या इस देश की चिकित्सा पद्धति Allopathy है । BAMS डाक्टरों को Ayurved & allopathy दोनों पढाई जाती है और internship भी दोनों पद्धतियों में 1year की करवाई जाती है । अधिकतर राज्यों में सरकार द्वारा gazette notification कर के क़ानून बनाया हुआ है कि BAMS डाक्टर allopathic दवा लिख सकते है । यह अधिकार Supreme Court द्वारा राज्यों को दिया हुआ है ।हम उमिद करते हैं की ज़ी न्यूज़ व उनके पत्रकार सुधीर चौधरी जल्द ही अपनी इस रिपोर्ट के लिए पूरे देश के आयुर्वेदिक डाक्टरों से माफी माँगेगें ” – Dr Mohit Dhingra
Famous Ayurvedic Doctor from Surat Dr. Joshi commented on his facebook page- “Kindly produce any journalism degree if u have to authenticate u as u used quack word for qualified Ayurved physicians. How can you used quack word for AYUSH doctors l’m pure Ayurved physician, will it applicable to me- You need to apologies for using the word quack for qualified Ayurved Physician @sudhirchaudhary- Dr Gourang Joshi- Atharva Multispecialty Ayurveda Hospital- Surat
“पत्रकार महोदय -आयुर्वेद और होमियोपैथी कोर्सेज भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्था CCIM द्वारा पुरे देश में चलाये जाते है। इन कोर्सेज में आयुर्वेद के साथ साथ आधुनिक चिकित्सा के बारे में भी पढ़ाया जाता है और कशी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसे उच्च संस्थानों में तो आधुनिक चिकित्सा के विद्वान चिकित्सक ही यर विषय पढ़ाते है। ऐसे में किसी को फर्जी बोलना सही नहीं है। दूसरी बात अगर अपने बोल ही दिया तो कुछ सवाल आपसे भी है। कुछ बीमारियों में जैसे CRF ,Jaundice, Ammenorrhea etc में अपने आधुनिक चिकित्सा के ओरिजिनल डॉक्टर्स से पूछिए की क्या मेडिसिन्स देते है। पूछिये और यदि जवाब आयुर्वेदिक मेडिसिन हुआ तो नेक्स्ट DNA प्रोग्राम में उसी अंदाज़ में उन्हें भी फर्जी कहने की हिम्मत दिखाईयेगा” – Dr Subash Saini
हम उमिद करते हैं की ज़ी न्यूज़ व उनके पत्रकार सुधीर चौधरी जल्द ही अपनी इस रिपोर्ट –“आयुर्वेदिक डाक्टरों को झोला छाप” कहने के लिए पूरे देश के आयुर्वेदिक डाक्टरों से टीवी के उसी DNA कार्यक्रम में माफी माँगेगें !
अगर आप सच में आयुर्वेद का भला चाहते हैं तो इस न्यूज़ को अधिक से अधिक शेयर करें और अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में लिखें!